Archive for अक्टूबर 2017

kuchh aache bichar jo jindgi bdal denge
अच्छे विचार / Nice Thought –
Life में अनेको प्रकार से कठिनाईया आती रहती है लेकिन इन कठिनाईयों से संघर्ष करते हुए Success के मार्ग पर चलने का नाम ही जिन्दगी है
तो आईये ऐसे कुछ ऐसे ही Achhe Vichar वाले बातो को जानते है

कुछ अच्छे विचार जो हमारी जिन्दगी बदल सकती है / A CHHE VICHAR IN HINDI –
अच्छे विचार कैसे लाये जानते है कुछ ऐसी ही अच्छी बाते –
”लोग क्या करते है ये आपके लिए मायने नही रखती है लेकिन आप क्या करते है आपके लिए खास होती है”
”जितना सोचते है उससे हमेशा ज्यादा करने की कोशिश करनी चाहिए”

”जिन्दगी एक बार मिलती है Life में कुछ खास अवसर सिर्फ एक बार मिलते है फिर हम उन अवसरों को बार बार पाने का इंतजार क्यू करे”
”इस दुनिया के सबसे बड़े से बड़े इन्सान को उतना ही एक दिन में Time मिलता है जितना की हमे, फिर हम Time नही है ऐसा कहकर खुद को क्यू पीछे करते है’ ‘
”जिन्दगी के एक एक पल का महत्व समझना चाहिए क्यू की दुनिया के बड़े से बड़े काम चंद सेकंडो में ही होते है”
”अवसर सबके लिए एक समान होते है पर उन अवसरों का फायदा उठाना कुछ लोग ही जानते है”
”लोग सोचते ज्यादा है करते है और करते है कम है लेकिन जो Success होते है वे सोचने के साथ साथ उसे पूरा भी करते है”

”सपने देखना Achhi Baat है लेकिन उसे पूरा करना महान लोगो की निशानी है”
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”हर इन्सान अपने लिए जीता तो जरुर है लेकिन जो दुसरो के लिए जीता है शायद उसे ही लोग याद करते है”
”इन्सान अपने शब्दों से नही कर्मो से महान बनता है”
”नाम से आपको कुछ लोग ही पहचान सकते है लेकिन आप के कर्मो से हर कोई जान सकता है”

”आप अगर Success के रास्ते पर जा रहे हो तो आपको बहुत से लोग मिल जायेगे लेकिन यदि आप अपनी अपनी Aim में Fail हो रहे होंगे तो हर कोई साथ छोड़ देता है”
”निरंतर मेहनत ही सफलता की कुंजी होती है”
”दुःख में भी दुखी न होकर धैर्य से उसका सामना करना ही महापुरुषों की निशानी है”

”गरीब से गरीब इन्सान भी अपने मेहनत और ईमानदारी के बल पर दुनिया का सबसे महान व्यक्ति बन सकता है”
”जो लोग Success होते है वे कभी भी हार नही मानते”
”दुनिया में हर चीज अपने Time पर होता है सूर्य भी अपने Time पर निकलता है तो हम जल्दी सफलता नही मिलने पर क्यू घबराते है जब सही वक़्त होगा सफलता अपने आप कदम चूमेगी ऐसी मन में भावना होनी चाहिए”

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”एक बार हम Fail होते है तो जिन्दगी यही खत्म नही हो जाती है यही से अब हमारी असली परीक्षा शुरू होती है की अब हम कितना आगे जा सकते है”
”एक बार Fail होने से हार मान लेना अपनी की गयी सारी मेहनत को यु ही गवा देने के बराबर है”
”अपनी Life में हर कोई कभी न कभी Fail जरुर होता है लेकिन अपनी हुई गलतियों से सीख लेकर आगे बढने का नाम ही जिन्दगी है”

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”हार और जीत जिन्दगी का हिस्सा है फिर हम इसे बार बार Soch सोंचकर खुद को क्यू परेशान करना”
”हो सकता है की हमारी सफलता एकदम Last में हो तो हम बार बार Fail होने से अपने कदम क्यू पीछे खीचे”
”दिन रात की गयी सच्चे मन से मेहनत कभी बेकार नही जाती कभी न कभी की गयी मेहनत रंग जरुर लाती है”

”अगर हम अपने किये गए कार्यो में सिर्फ लाभ की कामना करने लगे तो हम कभी भी दुसरो के लिए जी नही सकते”
”सबके लिए अपने मन में आदर का भाव रखना अच्छे इन्सान की निशानी है”
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”आपसे कोई गरीब भी हो सकता है तो उसको भी सम्मान देना महापुरुषों काम है”
”जिसकी वाणी पर खुद का Control हो वो कभी भी दुसरो के लिए कभी गलत बात नही बोल सकता”
”इन्सान चेहरे से सुंदर हो सकता है लेकिन उसकी असली पहचान उसकी वाणी और बोल ही कराते है”
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”अगर हम चाहे तो असम्भव से असम्भव कार्य को सम्भव बना सकते है बस इसको पूरा करने के लिए हमारे मन में लगन होनी चाहिए”
”हम सबकुछ पाना चाहते है लेकिन जब करने की बारी आती है तो हमारे कदम पीछे हो जाते है”
”अगर Success पाना है तो एक पल बिना गवाए हमे तुरंत अपने Aim को पूरा करने में लग जाना चाहिए”
तो अगर हम इन अच्छे विचार वाली बातो पर ध्यान रखे तो निश्चित ही हम अपने Life को सफल बना सकते ह

kuchh ayse subichar jo jindgi bdal degi

सात चक्र और अपार सिद्धियां, जानिए कैसे होगा संभव
योग के विभूतिपाद में अष्टसिद्धि के अलावा अन्य अनेक प्रकार की सिद्धियों का वर्णन मिलता है। सभी सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए चक्रों को जाग्रत करना चाहिए। मनुष्य शरीर स्थित कुंडलिनी शक्ति में जो चक्र स्थित होते हैं उनकी संख्या कहीं छ: तो कहीं सात बताई गई है।
समय-समय पर चक्रों वाले स्थान पर ध्यान दिया जाए तो मानसिक स्वास्थ्य और सुदृढ़ता के साथ ही सिद्धियां प्राप्त की जा सकती हैं तो जानते है चक्रों को जाग्रत करने की विधि और किस चक्र से प्राप्त होती है कौन सी सिद्धि...
मूलाधार चक्र : यह शरीर का पहला चक्र है। गुदा और लिंग के बीच चार पंखुरियों वाला यह 'आधार चक्र' है। 99.9 लोगों की चेतना इसी चक्र पर अटकी रहती है और वे इसी चक्र में रहकर मर जाते हैं। जिनके जीवन में भोग, संभोग और निद्रा की प्रधानता है उनकी ऊर्जा इसी चक्र के आसपास एकत्रित रहती है।

मंत्र : लं
चक्र जगाने की विधि : मनुष्य तब तक पशुवत है, जब तक कि वह इस चक्र में जी रहा है इसीलिए भोग, निद्रा और संभोग पर संयम रखते हुए इस चक्र पर लगातार ध्यान लगाने से यह चक्र जाग्रत होने लगता है। इसको जाग्रत करने का दूसरा नियम है यम और नियम का पालन करते हुए साक्षी भाव में रहना।
प्रभाव : इस चक्र के जाग्रत होने पर व्यक्ति के भीतर वीरता, निर्भीकता और आनंद का भाव जाग्रत हो जाता है। सिद्धियां प्राप्त करने के लिए वीरता, निर्भीकता और जागरूकता का होना जरूरी है।
स्वाधिष्ठान चक्र- यह वह चक्र है, जो लिंग मूल से चार अंगुल ऊपर स्थित है जिसकी छ: पंखुरियां हैं। अगर आपकी ऊर्जा इस चक्र पर ही एकत्रित है तो आपके जीवन में आमोद-प्रमोद, मनोरंजन, घूमना-फिरना और मौज-मस्ती करने की प्रधानता रहेगी। यह सब करते हुए ही आपका जीवन कब व्यतीत हो जाएगा आपको पता भी नहीं चलेगा और हाथ फिर भी खाली रह जाएंगे।

मंत्र : वं
कैसे जाग्रत करें : जीवन में मनोरंजन जरूरी है, लेकिन मनोरंजन की आदत नहीं। मनोरंजन भी व्यक्ति की चेतना को बेहोशी में धकेलता है। फिल्म सच्ची नहीं होती लेकिन उससे जुड़कर आप जो अनुभव करते हैं वह आपके बेहोश जीवन जीने का प्रमाण है। नाटक और मनोरंजन सच नहीं होते।
प्रभाव : इसके जाग्रत होने पर क्रूरता, गर्व, आलस्य, प्रमाद, अवज्ञा, अविश्वास आदि दुर्गणों का नाश होता है। सिद्धियां प्राप्त करने के लिए जरूरी है कि उक्त सारे दुर्गुण समाप्त हो तभी सिद्धियां आपका द्वार खटखटाएंगी।
मणिपुर चक्र : नाभि के मूल में स्थित रक्त वर्ण का यह चक्र शरीर के अंतर्गत मणिपुर नामक तीसरा चक्र है, जो दस दल कमल पंखुरियों से युक्त है। जिस व्यक्ति की चेतना या ऊर्जा यहां एकत्रित है उसे काम करने की धुन-सी रहती है। ऐसे लोगों को कर्मयोगी कहते हैं। ये लोग दुनिया का हर कार्य करने के लिए तैयार रहते हैं।

मंत्र : रं
कैसे जाग्रत करें : आपके कार्य को सकारात्मक आयाम देने के लिए इस चक्र पर ध्यान लगाएंगे। पेट से श्वास लें।
प्रभाव : इसके सक्रिय होने से तृष्णा, ईर्ष्या, चुगली, लज्जा, भय, घृणा, मोह आदि कषाय-कल्मष दूर हो जाते हैं। यह चक्र मूल रूप से आत्मशक्ति प्रदान करता है। सिद्धियां प्राप्त करने के लिए आत्मवान होना जरूरी है। आत्मवान होने के लिए यह अनुभव करना जरूरी है कि आप शरीर नहीं, आत्मा हैं। आत्मशक्ति, आत्मबल और आत्मसम्मान के साथ जीवन का कोई भी लक्ष्य दुर्लभ नहीं।
अनाहत चक्र- हृदय स्थल में स्थित स्वर्णिम वर्ण का द्वादश दल कमल की पंखुड़ियों से युक्त द्वादश स्वर्णाक्षरों से सुशोभित चक्र ही अनाहत चक्र है। अगर आपकी ऊर्जा अनाहत में सक्रिय है, तो आप एक सृजनशील व्यक्ति होंगे। हर क्षण आप कुछ न कुछ नया रचने की सोचते हैं। आप चित्रकार, कवि, कहानीकार, इंजीनियर आदि हो सकते हैं।

मंत्र : यं
कैसे जाग्रत करें : हृदय पर संयम करने और ध्यान लगाने से यह चक्र जाग्रत होने लगता है। खासकर रात्रि को सोने से पूर्व इस चक्र पर ध्यान लगाने से यह अभ्यास से जाग्रत होने लगता है और सुषुम्ना इस चक्र को भेदकर ऊपर गमन करने लगती है।
प्रभाव : इसके सक्रिय होने पर लिप्सा, कपट, हिंसा, कुतर्क, चिंता, मोह, दंभ, अविवेक और अहंकार समाप्त हो जाते हैं। इस चक्र के जाग्रत होने से व्यक्ति के भीतर प्रेम और संवेदना का जागरण होता है। इसके जाग्रत होने पर व्यक्ति के समय ज्ञान स्वत: ही प्रकट होने लगता है।
व्यक्ति अत्यंत आत्मविश्वस्त, सुरक्षित, चारित्रिक रूप से जिम्मेदार एवं भावनात्मक रूप से संतुलित व्यक्तित्व बन जाता हैं। ऐसा व्यक्ति अत्यंत हितैषी एवं बिना किसी स्वार्थ के मानवता प्रेमी एवं सर्वप्रिय बन जाता है।
विशुद्ध चक्र- कंठ में सरस्वती का स्थान है, जहां विशुद्ध चक्र है और जो सोलह पंखुरियों वाला है। सामान्यतौर पर यदि आपकी ऊर्जा इस चक्र के आसपास एकत्रित है तो आप अति शक्तिशाली होंगे।

मंत्र : हं
कैसे जाग्रत करें : कंठ में संयम करने और ध्यान लगाने से यह चक्र जाग्रत होने लगता है।
प्रभाव : इसके जाग्रत होने कर सोलह कलाओं और सोलह विभूतियों का ज्ञान हो जाता है। इसके जाग्रत होने से जहां भूख और प्यास को रोका जा सकता है वहीं मौसम के प्रभाव को भी रोका जा सकता है।
आज्ञाचक्र : भ्रूमध्य (दोनों आंखों के बीच भृकुटी में) में आज्ञा चक्र है। सामान्यतौर पर जिस व्यक्ति की ऊर्जा यहां ज्यादा सक्रिय है तो ऐसा व्यक्ति बौद्धिक रूप से संपन्न, संवेदनशील और तेज दिमाग का बन जाता है लेकिन वह सब कुछ जानने के बावजूद मौन रहता है। इस बौद्धिक सिद्धि कहते हैं।
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मंत्र : ऊं
कैसे जाग्रत करें : भृकुटी के मध्य ध्यान लगाते हुए साक्षी भाव में रहने से यह चक्र जाग्रत होने लगता है।
प्रभाव : यहां अपार शक्तियां और सिद्धियां निवास करती हैं। इस आज्ञा चक्र का जागरण होने से ये सभी शक्तियां जाग पड़ती हैं और व्यक्ति एक सिद्धपुरुष बन जाता है।
सहस्रार चक्र : सहस्रार की स्थिति मस्तिष्क के मध्य भाग में है अर्थात जहां चोटी रखते हैं। यदि व्यक्ति यम, नियम का पालन करते हुए यहां तक पहुंच गया है तो वह आनंदमय शरीर में स्थित हो गया है। ऐसे व्यक्ति को संसार, संन्यास और सिद्धियों से कोई मतलब नहीं रहता है।
कैसे जाग्रत करें : मूलाधार से होते हुए ही सहस्रार तक पहुंचा जा सकता है। लगातार ध्यान करते रहने से यह चक्र जाग्रत हो जाता है और व्यक्ति परमहंस के पद को प्राप्त कर लेता है।
प्रभाव : शरीर संरचना में इस स्थान पर अनेक महत्वपूर्ण विद्युतीय और जैवीय विद्युत का संग्रह है। यही मोक्ष का द्वार है।

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अर्जुन अवसर मिलते ही भगवान श्रीकृष्ण के समक्ष अपनी जिज्ञासा का समाधान पाने पहुंच जाते थे। एक दिन उन्होंने पूछा, हे कृष्ण, यह मन बड़ा चंचल है। मनुष्य को भटकाता रहता है। जिस प्रकार वायु को वश में नहीं किया जा सकता, उसी प्रकार मन को वश में करना मुझे कठिन लगता है। इसे वश में करने का उपाय बताएं। श्रीकृष्ण ने कहा, अर्जुन, निस्संदेह मन ठहर नहीं सकता, परंतु अभ्यास और वैराग्य से उसे वश में किया जा सकता है। सतत अभ्यास करनेवाला, लोभ, मोह और ममता से विरत हो जाने वाला व्यक्ति मन को वश में कर सकता है आध्यात्मिक विभूति आनंदमयी मां कहा करती थीं, मन को वश में करने का उपाय यह है कि हम शरीर और संसार की जगह आत्मा को जानने का प्रयास करें। मन को पवित्र एवं उत्कृष्ट विचारों के चिंतन में लगाए रखें। इसके लिए नेत्रों, कानों और जिह्वा का संयम आवश्यक है। न बुरा देखें, न बुरा सुनें और न बुरा उच्चारित करें। यदि दूषित दृश्य देखोगे और अश्लील वार्ता सुनोगे, तो मन स्वतः दूषित हो उठेगा आर्य संन्यासी महात्मा आनंद स्वामी सरस्वती तो यह भी कहा करते थे कि मन उसी का पवित्र रह सकता है, जो पवित्र वातावरण में रहता है। इतना ही नहीं, जो व्यक्ति ईमानदारी और परिश्रम से अर्जित धन से प्राप्त सात्विक भोजन ग्रहण करता है, वही मन को वश में रखने में समर्थ हो सकता है

bhagwat gita bhgwan Sri krishn ka wchan hindi me

सारे कर्मों को सुधारने के लिए मन के कर्मों को सुधारना होता है और मन के
कर्म को सुधारने के लिए मन पर पहरा लगाना होता है। कैसे कोई पहरा लगाएगा, जब यह ही नहीं जानता कि मन क्या है और कैसे काम करता है? उसका शरीर से क्या संबंध है और कैसे काम करता है? शरीर से कैसे प्रभावित होता है? वह शरीर को कैसे प्रभावित करता है? इस इंटर-एक्शन की वजह से कैसे विकास का उद्गम होता है, संवर्द्धन होता है। यह सारा कुछ कैसे जानेगा।
पुस्तकों से नहीं जाना जा सकता, प्रवचनों से नहीं जान सकता। इसके लिए स्वयं काम करना पड़ेगा। अंतरमुखी होकर के काया में स्थित होना पड़ेगा। विपश्यना कोई जादू नहीं है, कोई चमत्कार नहीं है। कोई गुरु महाराज का आशीर्वाद नहीं है। यह काम करना पड़ता है। किसी देवी की कृपा नहीं, देवता की कृपा नहीं, स्वयं काम करना पड़ता है।
अपने मन को मैंने बिगाड़ा, उसे सुधारने की मेरी जिम्मेदारी है और सुधारने का यह तरीका है। तो गहराइयों में जाकर के यह जो प्रतिक्रिया करने वाला स्वभाव है इसे दुर्बल बनाते जाएँ, दुर्बल बनाते जाएँ और मानस का यह साक्षीभाव का स्वभाव है उसे सबल बनाते जाएँ। पत्थर की लकीर जैसे संस्कार बनने न पाएँ।
हम दिनभर न जाने कितने संस्कार बनाते हैं। प्रतिक्षण कोई न कोई संस्कार बनते ही रहता है, भीतर प्रतिक्रिया होती ही रहती है। रात को सोने से पहले जरा चिंतन करके देखें आज हमने कितने संस्कार बनाए? याद करके देखेंगे तो एक या दो, जिनका मन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा वही उभरकर आएँगे। अरे, आज तो मैंने यह या वह बड़ा गहरा कर्म संस्कार बना लिया। महीने के आखिर में चिंतन करके देखेंगे, इस महीने भर में गहरे-गहरे कितने संस्कार बनाए? तो जितने गहरे संस्कार बनाए उनमें से एक या दो जो सबसे गहरे हैं वही उभरकर आएँगे।
इस जीवन का अंतिम क्षण अगले जीवन के प्रथम क्षण का जनक है। जैसा बाप वैसा बेटा। वही गुण-धर्म स्वभाव ले करके जन्मेगा। अगले जन्म का पहला क्षण इस जन्म के अंतिम क्षण की संतान है वैसा ही होगा। तो अंतिम क्षण कैसा हो? विपश्यना करते-करते ये जो विपश्यना के संस्कार हैं, सजग रहने के संस्कार हैं, ये भी तो अपना बल रखते हैं। ये जागेंगे और मृत्यु के क्षण बहुत पीड़ा की अनुभूति हो रही है तो यह विपश्यना का संस्कार जिसने विज्ञान को बड़ा बलवान बनाया, वह समता से देख रहा है तो यह अंतिम क्षण बड़ा अच्छा क्षण हुआ।
अंतिम क्षण हुआ तो अगला क्षण अपने आप अच्छा होगा। लोक सुधर जाएगा तो परलोक अपने आप सुधर जाएगा। तो विपश्यी साधक मरने की कला सीखता है। मरने की कला वही सीखेगा जिसने जीने की कला सीखी। जिसे जीना ही नहीं आया, अरे उसे मरना क्या आएगा?

man ko bas me karne ka sahi tarika hindi me

Best love hindi sayri 


1. pyar ki raho me koi har kar bhi jit jata h aur koi jit kar bhi har jata h jmana bhale hi tumeh lakh bura khe na jane hme phr bhi kio tum par pyar aata h

2. yar ne dil ka hal barana chhod diya hmne bhi ghrai me jana chhod diya jab use hi duri ka ahsas nahi to hamne bhi ahsas dilana chhod diya

3.tuthe hue glas me jam nahi aata isk ke marijo ko aaram nhi aata dil todne se phle socha to hota tuta huaa dil kisi ke kam nhi aata

4.meri yad tum ho us yad se jab dil khil uthta h to hothu par muskuraht tum ho aaj sirph itna khna h may sirph tumhara aur tum sirph meri ho

5.ye dost teri dosti ke liye duniya chhod denge ham teri trph aaye hr tuphan ko mod denge lekin tune jo sath hamara chhoda to kasm teri hm is jha ko chhod denge

6.mera ikrar tere inkar se behtr hoga meri har din teri har rar se behtar hoga ykin nhi to doli se chhank ke dekhna meri jnaja teribarat se behtar hoga

7.lmha_lmha intjar kiya us lmhe ke liye ow lmha aaya to bas ek lmhe ke liye gujaris ye h khuda se meri ow lmha phir aa jaye ek lmhe ke liye

Best Love Sayri hindi me

आजकल बहुत सारी किताबें और योग-स्टूडियो या योग केंद्र कुंडलिनी योग और उसके लाभों के बारे में बात करते हैं।

यह बात और है कि वे इसके बारे में जानते कुछ भी नहीं।

यहां तक कि जब हम कुंडलिनी शब्द का उच्चारण भी करते हैं तो पहले अपने मन में एक तरह की श्रद्धा लाते हैं और तब उस शब्द का उच्चारण करते हैं, क्योंकि यह शब्द है ही इतना विशाल, इतना विस्तृत। अगर आप कुंडलिनी को जाग्रत करना चाहते हैं तो आपको अपने शरीर, मन और भावना के स्तर पर जरूरी तैयारी करनी होगी, क्योंकि अगर आप बहुत ज्यादा वोल्ट की सप्लाई एक ऐसे सिस्टम में कर दें जो उसके लिए तैयार नहीं है तो सब कुछ जल जाएगा। मेरे पास तमाम ऐसे लोग आए हैं जो अपनी शारीरिक क्षमताएं और दिमागी संतुलन खो बैठे हैं। इन लोगों ने बिना जरूरी तैयारी और मार्गदर्शन के ही
कुंडलिनी योग करने की कोशिश की। अगर कुंडलिनी योग के लिए उपयुक्त माहौल नहीं है, तो कुंडलिनी जाग्रत करने की कोशिश बेहद खतरनाक और गैरजिम्मेदाराना हो सकती है।
अगर आप इस ऊर्जा को हासिल करना चाहते हैं, जो कि एक जबर्दस्त शक्ति है, तो आपको स्थिर होना होगा। यह नाभिकीय ऊर्जा (न्यूक्लियर एनर्जी) के इस्तेमाल की तकनीक सीखने जैसा है। जापान की स्थिति को देखते हुए आजकल हर कोई परमाणु विज्ञान पर बहुत ध्यान दे रहा है, और उस के बारे में बहुत ज्यादा सीख रहा है। अगर आप रूसी अनुभव को भूल चुके हैं, तो जापानी आपको याद दिला रहे हैं। अगर आप इस ऊर्जा को हासिल करना चाहते हैं तो यह काम आपको बड़ी ही सावधानी से करना होगा। अगर आप सुनामी और भूकंप जैसी संभावनाओं से घिरे हैं, फिर भी आप न्यूक्लियर एनर्जी से खेल रहे हैं तो आप एक तरह से अपने लिए मुसीबत को ही निमंत्रण दे रहे हैं। कुंडलिनी के साथ भी ऐसा ही है।
आज ज्यादातर लोग जिस तरह की जिंदगी जी रहे हैं, उसमें बहुत सारी चीजें, जैसे- भोजन, रिश्ते और तरह-तरह की गतिविधियां पूरी तरह से उनके नियंत्रण में नहीं हैं। उन्होंने कहीं किसी किताब में पढ़ लिया और कुंडलिनी जाग्रत करने की कोशिश करने लगे। इस तरह कुंडलिनी जाग्रत करना ठीक ऐसा है जैसे आप इंटरनेट पर पढक़र अपने घर में न्यूक्लियर रिएक्टर बना रहे हों। न्यूक्लियर बम कैसे बनाया जाता है, वर्ष 2006 तक इसकी पूरी जानकारी इंटरनेट पर मौजूद थी। हमें नहीं पता कितने लोगों ने उसे डाउनलोड किया। बस सौभाग्य की बात यह रही कि इस बम को बनाने के लिए जिस पदार्थ की जरूरत होती है, वह लोगों की पहुंच से बाहर था। कुंडलिनी के साथ भी ऐसा ही है। बहुत सारे लोगों ने पढ़ लिया है कि कैसे कुंडलिनी जाग्रत करके आप चमत्कारिक काम कर सकते हैं। हो सकता है कि बुद्धि के स्तर पर उन्हें पता हो कि क्या करना है, लेकिन अनुभव के स्तर पर उन्हें कुछ नहीं पता। यह अच्छी बात है, क्योंकि अगर वे इस ऊर्जा को हासिल कर लेते हैं, तो वे इसे संभाल नहीं पाएंगे। यह उनके पूरे सिस्टम को पल भर में नष्ट कर देगी। न केवल उनका, बल्कि आसपास के लोगों का भी इससे जबर्दस्त नुकसान होगा।
इसका मतलब यह नहीं है कि कुंडलिनी योग के साथ कुछ गड़बड़ है। यह एक शानदार प्रक्रिया है लेकिन इसे सही ढंग से किया जाना चाहिए, क्योंकि ऊर्जा में अपना कोई विवेक नहीं होता। आप इससे अपना जीवन बना भी सकते हैं और मिटा भी सकते हैं। बिजली हमारे जीवन के लिए फायदेमंद हैं, लेकिन अगर आप उसे छूने की कोशिश करेंगे, तो आपको पता है कि क्या होगा। इसीलिए मैं आपको बता रहा हूं कि ऊर्जा में अपनी कोई सूझबूझ नहीं होती। आप जैसे इसका इस्तेमाल करेंगे, यह वैसी ही है। कुंडलिनी भी ऐसे ही है। आप इसका उपयोग अभी भी कर रहे हैं, लेकिन बहुत ही कम। अगर आप इसे बढ़ा दें तो आप अस्तित्व की सीमाओं से भी परे जा सकते हैं। सभी योग एक तरह से उसी ओर ले जाते हैं, लेकिन कुंडलिनी योग खासतौर से उधर ही ले जाता है। दरअसल पूरा जीवन ही उसी दिशा में जा रहा है। लोग जीवन को जिस तरह से अनुभव कर रहे हैं, उससे कहीं ज्यादा तीव्रता और गहराई से अनुभव करना चाहते हैं। कोई गाना चाहता है, कोई नाचना चाहता है, कोई शराब पीना चाहता है, कोई प्रार्थना करना चाहता है। वे लोग ये सब क्यों कर रहे हैं? वे जीवन को ज्यादा तीव्रता के साथ महसूस करना चाहते हैं। हर कोई असल में अपनी कुंडलिनी को जाग्रत करना चाहता है, लेकिन सभी इस काम को उटपटांग तरीके से कर रहे हैं। जब आप इसे सही ढंग से, सही मागदर्शन में, वैज्ञानिक तरीके से करते हैं तो हम इसे योग कहते हैं।

yog sakti ka pura sach kundalini sakti

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janiye manav mastiks ke rochak bate

।मस्तिष्क जिस किसी चीज को स्वीकार करता है और विश्वास करता है, वह उसे प्राप्त भी कर सकता है क्योंकि आपका मस्तिष्क जिन चीजों को सोचता है, देखता है, विश्वास करता है और महसूस करता है वह उन्हें अवचेतन मन में भेज देता है। फिर आपका अवचेतन मन ब्रह्मांड की शक्तियों के साथ कार्य करने के पश्चात एक ऐसी वास्तविकता की रचना करता है, जो कि उस संदेश पर आधारित रहती है, जिसका उद्गम(starting) मस्तिष्क में हुआ था, परंतु सिर्फ इस प्रकार से सोचना और यह आशा करना कि यह सब अपनेआप हो जाएगा, पर्याप्त नहीं है।यदि आप ठीक प्रकार से अपने कार्य के प्रति dedicated हैं तो आप उसे अवश्य पूरा कर लेंगे, लेकिन आवश्यकता है यह जानने की, कि आप अपने मस्तिष्क की शक्तियों का प्रयोग कैसे करेंगे।मनुष्य के मस्तिष्क की 20 महान शक्तियाँ

1.मस्तिष्क में कल्पना शक्ति दी गई हैं, जिसके द्वारा आशाओं और उद्देश्यों को साकार करने के तरीके सुझाएँ जाते हैं। इसमें इच्छा और उत्साह की प्रेरक क्षमता दी गई हैं, जिसके द्वारा योजनाओं और उद्देश्यों के अनुरूप कर्म किया जा सके। इसमें इच्छा शक्ति दी गई हैं, जिसके द्वारा योजना पर लंबे समय तक काम किया जासके।

2.इसमें आस्था की क्षमता दी गई हैं, जिसकेद्वारा पूरा मस्तिष्क असीम बुद्धि की प्रेरक शक्ति की तरफ मुड जाता हैं तथा इसदौरान इच्छाशक्ति और तर्कशक्ति शान्त रहती हैं।

3.इसमें तर्कशक्ति दी गई हैं, जिसके द्वारातथ्यों और सिद्दांतों को अवधारणाओं, विचारों और योजनाओं में बदला जा सकता हैं।

4.इसे यह शक्ति दी गई हैं कि यह दुसरें मस्तिष्कों के साथ मौन सम्प्रेषण (Transmission) कर सके, जिसे टेलीपैथी(Telepathy) कहते हैं।

5.इसे निष्कर्ष की शक्ति दी गई हैं, जिसके द्वारा अतीत का विश्लेषण करके भविष्य का पूर्वानुमान लगाया जा सकता हैं। यह क्षमता स्पष्ठ करती हैं कि दार्शनिक भविष्य का अनुमान लगाने के लिए अतीत की तरफ क्यों देखते हैं।

6.इसे अपने विचारों की प्रकर्ति चुननें, संशोधित करने और नियंत्रित करने के साधन दिए गए हैं, इसके द्वारा व्यक्ति को अपनेचरित्र के निर्माण का अधिकार दिया गया हैं, जोकि इच्छानुसार ढाला जा सकता हैं। और इसे यह शक्ति भी दी गई हैं कि यह यह तय करें कि मस्तिष्क में किस तरह के विचार प्रबल होंगे।

7.इसे अपने हर विचार को ग्रहण करने, Record करने और याद करने के एक अदभुदत फाइलइंग सिस्टम (filing system) दिया गया हैं जिसे स्मरणशक्ति कहा जाता हैं। यह अदभुद तंत्र अपनेआप सम्बन्ध विचारों को इस तरह से वर्गीकृत कर देता हैं कि किसी विशिष्ट विचार को याद करने से उससे जुड़े विचार अपने आप याद आ जातें हैं।

8.इसे भावनाओं की शक्ति दी गई हैं। जिसके द्वारा यह शरीर को इच्छित कर्म के लिए प्रेरित का सकता हैं।

9.इसे गोपनीय रूप से और ख़ामोशी से कार्य करने की शक्ति दी गई हैं जिससे सभी परिस्थितियों में विचार की गोपनीयता सुनिश्चित होती हैं।

10.इसके पास सभी विषयों पर ज्ञान प्राप्त करने, संगठित करने, संगृहीत करने और व्यक्त करने की असीमित क्षमता होती हैं, चाहे यह ज्ञान भोतिकी का हो या रहस्यवाद का, बाह्यः जगत का हो या आन्तरिक जगत का।

11.इसके पास शारीरिक सेहत को अच्छा बनायेंरखने की शक्ति भी हैं और स्पष्ठ रूप सेयह सभी बीमारियों के उपचार का एकमात्र स्त्रोत भी हैं बाकी सभी स्त्रोत तो सिर्फ योगदान देते हैं यह तो शरीर को संतुलित रखने के लिए मरम्मत-तंत्र भी चलाता हैं, जो स्वचालित हैं।

12.इसमें रसायनों का अद्भुद स्वचालित तंत्र भी होता हैं जो शरीर के रखरखाव और मरम्मत के लिए आहार को आवश्यक तत्वों में बदलता हैं।

13.यह हर्दय को अपने आप चलाता हैं, जिसकेद्वारा यह रक्त के जरिएं भोजन को शरीर के हर अंग तह पहुचाता हैं और अवशिष्ट सामग्री तथा मृत कोशिकाओं को शरीर से बाहर निकलता हैं।

14.इसके पास आत्म-अनुशासन की शक्ति हैं, जिसके द्वारा यह किसी भी अच्छी आदत को ढाल लेता हैं और तब तक कायम रख सकता हैं, जब तक की आदत स्वचलित नहीं हो जाती।

15.यहाँ हम प्रार्थना द्वारा असीम बुद्दिमता से सम्प्रेषण कर सकते हैं इसको प्रक्रिया बहुत आसान हैं इसके लिएआस्था के साथ अवचेतन मस्तिष्क के प्रयोग की जरुरत होती हैं।

16.यह भौतिक जगत के हर विचार, हर औजार, हर मशीन और हर यन्त्र के अविष्कार का एकमात्र जनक हैं।

17.यह सुख और दुःख का एक मात्र स्त्रोत हैं यह गरीबी और अमीरी का स्त्रोत हैं इन दोनों विरोधी विचारों में से जिसकी शक्ति भी प्रबल होती हैं यह उसे अभिव्यक्ति करने में अपनी उर्जा लगाता हैं।

18.यह समस्त मानवीय संबंधों और समस्त मानवीय व्यवहारों का स्त्रोत हैं इसी से मित्रता और शत्रुता होती हैं, जो इसबात पर निर्भर करता हैं कि इसे किस तरहके निर्देश दियें गए हैं।

19.इसकें पास सभी बाह्य परिस्थितियों और स्थितियों का विरोध करने तथा उनसे अपनीरक्षा करने की शक्ति हैं, हालंकि यह हमेशा उन्हें नियंत्रित नहीं कर सकता।

20.तर्क के भीतर इसकी कोई सीमा नहीं हैं,इसकी सीमायें वही हैं, जिन्हें व्यक्तिआस्था के आभाव के कारण स्वीकार करता हैं, यह सच हैं मस्तिष्क जो सोच सकता हैं और जिसमे विश्वास कर सकता हैं, उसेवह हासिल भी कर सकता हैं।

मस्तिष्क कितना अद्भुद और शक्तिशाली हैं मस्तिष्क की इतनी आश्चर्यजनक शक्ति के बावजूद ज्यादातर लोग इस पर नियंत्रण करने की कोशिश ही नहीं करते हैं यही वजय हैं कि वे डरों और मुश्किलों से भयभीत होकर जीवन जीते हैं, उचित दृष्टिकोण, उपयुक्त मन:स्थिति और सकारात्मक सोच केसाथ सही दिशा में कार्य करने वाले व्यक्ति अपने जीवन में सफलता के नयें आयाम स्थापित करते हैं।—————

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manav mastiks ki 20 mahan saktiya in hindi


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शरीर के बारे में रोचक और ज्ञानवर्धक 25 बातें

1.मनुष्य के एक बाल की आयु 3 से 7 साल तक की होती है।

2.मनुष्य के बाल न तो सर्दी द्वारा, न जलवायु द्वारा, न पानी द्वारा और न ही अन्य कुदरती बलों द्वारा नष्ट होते है और यह कई प्रकार के तेजाबों के प्रतीरोधकभी है।

3.आप के महिदे(stomatch) में जो तेजाब होता है वह बलेड़ को भी पचा सकता है। यह तेजाब Hydrochloric तेजाब होता है।

4.अपने जीवन काल के दौरान आप दो स्वीमिंग पुल जितनी लार बना लेते है। लार भोजन को पचाने और उसे सवादिस्ट बनाने के लिए महत्वपुर्ण भूमिका निभाती है।

5.एक औसतन मनुष्य दिन में लगभग 14 बार उदरवायु(पाद) अपने शरीर से बाहर निकालता है।

6.कान की मैल बनना सेहत के लिए अच्छा है। कुछ लोगों को यह बिलकुल पसंद नही होती पर यह हमारे रक्षा तंत्र के लिए बहुत जरुरी होती है। यह कानों को कई प्रकार के बैकटीरीया, उल्ली और कीड़ो से बचाती है।

7.बच्चे अकसर नीली आखों के साथ जन्म लेते हैं। जन्म के थोड़ी बाद तक बच्चों को कुछ समय तक सब धुधला देखाई देता है मगर बाद में आखों का रंग सही हो जाता है।

8.बहुत ज्यादा खा लेने के बाद आपकी सुनने की समता थोड़ी कम हो जाती है।

9.आप की नाक लगभग 50,000 किस्म के गंध सूंघ सकती है और आँखे 1 करोड़ रंगो को पहचान सकती हैं।

10.साठ साल की उम्र के बाद 60% बुजुर्ग और 40% बुजुर्ग महिलाएँ सोते समय खराटे मारने लगते हैं।

11.सोमवार एक ऐसा दिन होता है जब heart attack (दिल के दौरे) होनेके ज्यादा chance होते है। Scotland में हुए एक अध्ययन के अनुसार 20% लोग अन्य किसी दिन के बजाए सोमवार को दिल के दौरे से मरे।

12.लगभग 90% बिमारीयां तनाव(stress) की वजह से होती हैं।

13.हम शाम के मुकाबले सवेर को 1 cm लंम्बे होते हैं।

14.मानव एकलौते ऐसे प्राणी हैं जो भावुक होकर रोते हैं।

15.आपके चेहरे के बाल अन्य किसी भाग के बालों से ज्यादा तेजी से बढ़ते हैं।अगर एक औसतन आदमी अपनी पूरी उम्र सेव न करे तो उसकी जिन्दगी दौरान वह 30 फीट तक बढ़ जाएगी जो कि एक killer whale से ज्यादा होगी।

16.एक औसतन मनुष्य के 1,00,000 बाल होते हैं। जिन के बाल काले होते है उनके औसतन 1,10,000 , जिनके भुरे होते है उनके 1,00,000 और जिनके लाल होते है उनके औसतन 86,000 बाल होते है।

17.अगर एक औसतन मनुष्य की खुन की वाहिकायों को जोड़ दिया जाए तो 96,000 किलोमीटर लंबी लड़ी बन सकती है जिससे धरती का ढाई बार चक्कर लगाया जा सकता है।

18.काले रंग के लोगो को गोरे रंग के लोगो से कम दिल का दौरा पड़ता है।

19.आप के फेफड़े की सतह को अगर फैला दिया जाए तो उसका क्षेत्रफल एक Tennis court के जितना होता है।

20.मानव शरीर में सबसे बड़ा cell औरत का अंड़ा जबकि सबसे छोटा cell पुरूषों का शुक्राणु होता है।

21.आपके शरीर में 1 सैकेंड में 1 करोड़ लाल रकताणु बनते और मरते हैं।

22.जब तक बच्चा 2 साल का होता हैं तब तक बच्चे के मां-बाप उसकी वजह से 1055 घंटे कम सोते हैं।

23.अगर आप किसी सपने से जाग गए हैं और वापस उस सपने को देखना कहते हैं तो आपको जल्दी से आंखे बंद करके सीधे लेट जाना चाहिए। ये तरीका हर बार काम नहीं करता पर आप एक अच्छा सपना जरूर देख पाएंगे।

24.सुबह 3:00 से 4:00 बजे के बीच आपका शरीर सबसे कमज़ोर होता हैं। यही कारण है कि ज़्यादातर लोगों की नींद में मृत्यु इसी समय होती हैं।

25.अमेरिका के 8% लोग नंगे सोते हैं।

manav sarir se judi 25 rochak bae jine aap sayd nahi jante

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अवचेतन मन क्या है एवं इसका उपयोग कैसे करे  dosto avchetan man ek suparpawar se rileted hota h
मनोवैज्ञानिकों ने मन को दो बड़े  भागों में विभक्त किया है।
1.    चेतन मन – मस्तिष्क का वह भाग, जिसमें होने वाली क्रियाओं की जानकारी हमे होता हैं, चेतन मस्तिष्क है। यह वस्तुनिष्ठ एवं तर्क पर आधारित होता है।
2. अवचेतन मन –    जाग्रत मस्तिष्क के परे मस्तिष्क का हिस्सा अवचेतन मन होता है। हमें इसकी जानकारी नहीं होती। इसका अनुभव कम ही होता है।
उदाहरण के रूप में समझें तो इसकी स्थिति पानी में तैरते हीमखण्ड (Iceberg)की तरह है। हिमखण्ड का मात्र 10 प्रतिशत भाग पानी की सतह से ऊपर दिखाई देता है और शेष 90 प्रतिशत भाग सतह से नीचे रहता है। चेतन  मस्तिष्क भी सम्पूर्ण मस्तिष्क का दस प्रतिशत ही होता है। मस्तिष्क का नब्बे प्रतिशत भाग साधारणतया अवचेतन मन होता है।
मस्तिष्क का विभाजन जैसा कुछ नहीं होता जैसा कि उदाहरण दिया गया है। ऐसा केवल आपको समझाने के लिए को बताया है। अवचेतन मन को प्रयत्नपूर्वक चेतन मन मे परिवर्तित किया जा सकता है और तब वह चेतन मन का हिस्सा बन जाता है। अभी जो चेतन मन है वह कल अवचेतन हो जाता है।
सारे निर्णय चेतन मन ही करता है। अवचेतन मन सारी तैयारी, प्रबन्ध या व्यवस्था करता है। चेतन मस्तिष्क यह तय करता है कि क्या करना है, और अवचेतन मस्तिष्क यह तय करता है कि उसे ‘कैसे’ मूर्तरूप दिया जाय ।
हमारे सारे अनुभव, जानकारी हमारे अवचेतन में संचित रहते हैं। परन्तु जब-कभी हम उनका उपयोग करना चाहते हैं, वे चेतन का हिस्सा बन जाते हैं। सिग्मण्ड फ्रायड के अनुसार हमारी दमित इच्छाएँ एवं विचार अवचेतन में संचित रहते हैं। ये हमारे व्यक्तित्व को बनाते व प्रभावित करते हैं और हमारे व्यवहार एवं आचार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
शेक्सपीयर ने कहा, “ हमारा तन बगीचा है और हम इसके बागवान हैं।” तो आप एक बागवान हैं जो विचारों के बीजों कों अवचेतन मस्तिष्क में बोते हैं, जो हमारे आदतन विचारों के अनुरूप होते हैं। हम जैसा अपने अवचेतन में बोएँगे वैसा ही फल हमें प्राप्त होगा। तदनुसार ही हमारा शरीर एवं बोध प्रकट होता है। इसलिए प्रत्येक विचार एक कारण है एवं प्रत्येक दशा एक प्रभाव है । इसी कारण, यह आवश्यक है कि हम अपने विचारों को ऐसा बनाएँ ताकि हम इच्छित स्थिति को प्राप्त कर सकें।
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agle post me janege ki apne chetan man ko avchetan man me kayse badle

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