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आजकल बहुत सारी किताबें और योग-स्टूडियो या योग केंद्र कुंडलिनी योग और उसके लाभों के बारे में बात करते हैं।
यह बात और है कि वे इसके बारे में जानते कुछ भी नहीं।
यहां तक कि जब हम कुंडलिनी शब्द का उच्चारण भी करते हैं तो पहले अपने मन में एक तरह की श्रद्धा लाते हैं और तब उस शब्द का उच्चारण करते हैं, क्योंकि यह शब्द है ही इतना विशाल, इतना विस्तृत। अगर आप कुंडलिनी को जाग्रत करना चाहते हैं तो आपको अपने शरीर, मन और भावना के स्तर पर जरूरी तैयारी करनी होगी, क्योंकि अगर आप बहुत ज्यादा वोल्ट की सप्लाई एक ऐसे सिस्टम में कर दें जो उसके लिए तैयार नहीं है तो सब कुछ जल जाएगा। मेरे पास तमाम ऐसे लोग आए हैं जो अपनी शारीरिक क्षमताएं और दिमागी संतुलन खो बैठे हैं। इन लोगों ने बिना जरूरी तैयारी और मार्गदर्शन के ही
कुंडलिनी योग करने की कोशिश की। अगर कुंडलिनी योग के लिए उपयुक्त माहौल नहीं है, तो कुंडलिनी जाग्रत करने की कोशिश बेहद खतरनाक और गैरजिम्मेदाराना हो सकती है।
अगर आप इस ऊर्जा को हासिल करना चाहते हैं, जो कि एक जबर्दस्त शक्ति है, तो आपको स्थिर होना होगा। यह नाभिकीय ऊर्जा (न्यूक्लियर एनर्जी) के इस्तेमाल की तकनीक सीखने जैसा है। जापान की स्थिति को देखते हुए आजकल हर कोई परमाणु विज्ञान पर बहुत ध्यान दे रहा है, और उस के बारे में बहुत ज्यादा सीख रहा है। अगर आप रूसी अनुभव को भूल चुके हैं, तो जापानी आपको याद दिला रहे हैं। अगर आप इस ऊर्जा को हासिल करना चाहते हैं तो यह काम आपको बड़ी ही सावधानी से करना होगा। अगर आप सुनामी और भूकंप जैसी संभावनाओं से घिरे हैं, फिर भी आप न्यूक्लियर एनर्जी से खेल रहे हैं तो आप एक तरह से अपने लिए मुसीबत को ही निमंत्रण दे रहे हैं। कुंडलिनी के साथ भी ऐसा ही है।
आज ज्यादातर लोग जिस तरह की जिंदगी जी रहे हैं, उसमें बहुत सारी चीजें, जैसे- भोजन, रिश्ते और तरह-तरह की गतिविधियां पूरी तरह से उनके नियंत्रण में नहीं हैं। उन्होंने कहीं किसी किताब में पढ़ लिया और कुंडलिनी जाग्रत करने की कोशिश करने लगे। इस तरह कुंडलिनी जाग्रत करना ठीक ऐसा है जैसे आप इंटरनेट पर पढक़र अपने घर में न्यूक्लियर रिएक्टर बना रहे हों। न्यूक्लियर बम कैसे बनाया जाता है, वर्ष 2006 तक इसकी पूरी जानकारी इंटरनेट पर मौजूद थी। हमें नहीं पता कितने लोगों ने उसे डाउनलोड किया। बस सौभाग्य की बात यह रही कि इस बम को बनाने के लिए जिस पदार्थ की जरूरत होती है, वह लोगों की पहुंच से बाहर था। कुंडलिनी के साथ भी ऐसा ही है। बहुत सारे लोगों ने पढ़ लिया है कि कैसे कुंडलिनी जाग्रत करके आप चमत्कारिक काम कर सकते हैं। हो सकता है कि बुद्धि के स्तर पर उन्हें पता हो कि क्या करना है, लेकिन अनुभव के स्तर पर उन्हें कुछ नहीं पता। यह अच्छी बात है, क्योंकि अगर वे इस ऊर्जा को हासिल कर लेते हैं, तो वे इसे संभाल नहीं पाएंगे। यह उनके पूरे सिस्टम को पल भर में नष्ट कर देगी। न केवल उनका, बल्कि आसपास के लोगों का भी इससे जबर्दस्त नुकसान होगा।
इसका मतलब यह नहीं है कि कुंडलिनी योग के साथ कुछ गड़बड़ है। यह एक शानदार प्रक्रिया है लेकिन इसे सही ढंग से किया जाना चाहिए, क्योंकि ऊर्जा में अपना कोई विवेक नहीं होता। आप इससे अपना जीवन बना भी सकते हैं और मिटा भी सकते हैं। बिजली हमारे जीवन के लिए फायदेमंद हैं, लेकिन अगर आप उसे छूने की कोशिश करेंगे, तो आपको पता है कि क्या होगा। इसीलिए मैं आपको बता रहा हूं कि ऊर्जा में अपनी कोई सूझबूझ नहीं होती। आप जैसे इसका इस्तेमाल करेंगे, यह वैसी ही है। कुंडलिनी भी ऐसे ही है। आप इसका उपयोग अभी भी कर रहे हैं, लेकिन बहुत ही कम। अगर आप इसे बढ़ा दें तो आप अस्तित्व की सीमाओं से भी परे जा सकते हैं। सभी योग एक तरह से उसी ओर ले जाते हैं, लेकिन कुंडलिनी योग खासतौर से उधर ही ले जाता है। दरअसल पूरा जीवन ही उसी दिशा में जा रहा है। लोग जीवन को जिस तरह से अनुभव कर रहे हैं, उससे कहीं ज्यादा तीव्रता और गहराई से अनुभव करना चाहते हैं। कोई गाना चाहता है, कोई नाचना चाहता है, कोई शराब पीना चाहता है, कोई प्रार्थना करना चाहता है। वे लोग ये सब क्यों कर रहे हैं? वे जीवन को ज्यादा तीव्रता के साथ महसूस करना चाहते हैं। हर कोई असल में अपनी कुंडलिनी को जाग्रत करना चाहता है, लेकिन सभी इस काम को उटपटांग तरीके से कर रहे हैं। जब आप इसे सही ढंग से, सही मागदर्शन में, वैज्ञानिक तरीके से करते हैं तो हम इसे योग कहते हैं।
yog sakti ka pura sach kundalini sakti
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janiye manav mastiks ke rochak bate
।मस्तिष्क जिस किसी चीज को स्वीकार करता है और विश्वास करता है, वह उसे प्राप्त भी कर सकता है क्योंकि आपका मस्तिष्क जिन चीजों को सोचता है, देखता है, विश्वास करता है और महसूस करता है वह उन्हें अवचेतन मन में भेज देता है। फिर आपका अवचेतन मन ब्रह्मांड की शक्तियों के साथ कार्य करने के पश्चात एक ऐसी वास्तविकता की रचना करता है, जो कि उस संदेश पर आधारित रहती है, जिसका उद्गम(starting) मस्तिष्क में हुआ था, परंतु सिर्फ इस प्रकार से सोचना और यह आशा करना कि यह सब अपनेआप हो जाएगा, पर्याप्त नहीं है।यदि आप ठीक प्रकार से अपने कार्य के प्रति dedicated हैं तो आप उसे अवश्य पूरा कर लेंगे, लेकिन आवश्यकता है यह जानने की, कि आप अपने मस्तिष्क की शक्तियों का प्रयोग कैसे करेंगे।मनुष्य के मस्तिष्क की 20 महान शक्तियाँ
1.मस्तिष्क में कल्पना शक्ति दी गई हैं, जिसके द्वारा आशाओं और उद्देश्यों को साकार करने के तरीके सुझाएँ जाते हैं। इसमें इच्छा और उत्साह की प्रेरक क्षमता दी गई हैं, जिसके द्वारा योजनाओं और उद्देश्यों के अनुरूप कर्म किया जा सके। इसमें इच्छा शक्ति दी गई हैं, जिसके द्वारा योजना पर लंबे समय तक काम किया जासके।
2.इसमें आस्था की क्षमता दी गई हैं, जिसकेद्वारा पूरा मस्तिष्क असीम बुद्धि की प्रेरक शक्ति की तरफ मुड जाता हैं तथा इसदौरान इच्छाशक्ति और तर्कशक्ति शान्त रहती हैं।
3.इसमें तर्कशक्ति दी गई हैं, जिसके द्वारातथ्यों और सिद्दांतों को अवधारणाओं, विचारों और योजनाओं में बदला जा सकता हैं।
4.इसे यह शक्ति दी गई हैं कि यह दुसरें मस्तिष्कों के साथ मौन सम्प्रेषण (Transmission) कर सके, जिसे टेलीपैथी(Telepathy) कहते हैं।
5.इसे निष्कर्ष की शक्ति दी गई हैं, जिसके द्वारा अतीत का विश्लेषण करके भविष्य का पूर्वानुमान लगाया जा सकता हैं। यह क्षमता स्पष्ठ करती हैं कि दार्शनिक भविष्य का अनुमान लगाने के लिए अतीत की तरफ क्यों देखते हैं।
6.इसे अपने विचारों की प्रकर्ति चुननें, संशोधित करने और नियंत्रित करने के साधन दिए गए हैं, इसके द्वारा व्यक्ति को अपनेचरित्र के निर्माण का अधिकार दिया गया हैं, जोकि इच्छानुसार ढाला जा सकता हैं। और इसे यह शक्ति भी दी गई हैं कि यह यह तय करें कि मस्तिष्क में किस तरह के विचार प्रबल होंगे।
7.इसे अपने हर विचार को ग्रहण करने, Record करने और याद करने के एक अदभुदत फाइलइंग सिस्टम (filing system) दिया गया हैं जिसे स्मरणशक्ति कहा जाता हैं। यह अदभुद तंत्र अपनेआप सम्बन्ध विचारों को इस तरह से वर्गीकृत कर देता हैं कि किसी विशिष्ट विचार को याद करने से उससे जुड़े विचार अपने आप याद आ जातें हैं।
8.इसे भावनाओं की शक्ति दी गई हैं। जिसके द्वारा यह शरीर को इच्छित कर्म के लिए प्रेरित का सकता हैं।
9.इसे गोपनीय रूप से और ख़ामोशी से कार्य करने की शक्ति दी गई हैं जिससे सभी परिस्थितियों में विचार की गोपनीयता सुनिश्चित होती हैं।
10.इसके पास सभी विषयों पर ज्ञान प्राप्त करने, संगठित करने, संगृहीत करने और व्यक्त करने की असीमित क्षमता होती हैं, चाहे यह ज्ञान भोतिकी का हो या रहस्यवाद का, बाह्यः जगत का हो या आन्तरिक जगत का।
11.इसके पास शारीरिक सेहत को अच्छा बनायेंरखने की शक्ति भी हैं और स्पष्ठ रूप सेयह सभी बीमारियों के उपचार का एकमात्र स्त्रोत भी हैं बाकी सभी स्त्रोत तो सिर्फ योगदान देते हैं यह तो शरीर को संतुलित रखने के लिए मरम्मत-तंत्र भी चलाता हैं, जो स्वचालित हैं।
12.इसमें रसायनों का अद्भुद स्वचालित तंत्र भी होता हैं जो शरीर के रखरखाव और मरम्मत के लिए आहार को आवश्यक तत्वों में बदलता हैं।
13.यह हर्दय को अपने आप चलाता हैं, जिसकेद्वारा यह रक्त के जरिएं भोजन को शरीर के हर अंग तह पहुचाता हैं और अवशिष्ट सामग्री तथा मृत कोशिकाओं को शरीर से बाहर निकलता हैं।
14.इसके पास आत्म-अनुशासन की शक्ति हैं, जिसके द्वारा यह किसी भी अच्छी आदत को ढाल लेता हैं और तब तक कायम रख सकता हैं, जब तक की आदत स्वचलित नहीं हो जाती।
15.यहाँ हम प्रार्थना द्वारा असीम बुद्दिमता से सम्प्रेषण कर सकते हैं इसको प्रक्रिया बहुत आसान हैं इसके लिएआस्था के साथ अवचेतन मस्तिष्क के प्रयोग की जरुरत होती हैं।
16.यह भौतिक जगत के हर विचार, हर औजार, हर मशीन और हर यन्त्र के अविष्कार का एकमात्र जनक हैं।
17.यह सुख और दुःख का एक मात्र स्त्रोत हैं यह गरीबी और अमीरी का स्त्रोत हैं इन दोनों विरोधी विचारों में से जिसकी शक्ति भी प्रबल होती हैं यह उसे अभिव्यक्ति करने में अपनी उर्जा लगाता हैं।
18.यह समस्त मानवीय संबंधों और समस्त मानवीय व्यवहारों का स्त्रोत हैं इसी से मित्रता और शत्रुता होती हैं, जो इसबात पर निर्भर करता हैं कि इसे किस तरहके निर्देश दियें गए हैं।
19.इसकें पास सभी बाह्य परिस्थितियों और स्थितियों का विरोध करने तथा उनसे अपनीरक्षा करने की शक्ति हैं, हालंकि यह हमेशा उन्हें नियंत्रित नहीं कर सकता।
20.तर्क के भीतर इसकी कोई सीमा नहीं हैं,इसकी सीमायें वही हैं, जिन्हें व्यक्तिआस्था के आभाव के कारण स्वीकार करता हैं, यह सच हैं मस्तिष्क जो सोच सकता हैं और जिसमे विश्वास कर सकता हैं, उसेवह हासिल भी कर सकता हैं।
मस्तिष्क कितना अद्भुद और शक्तिशाली हैं मस्तिष्क की इतनी आश्चर्यजनक शक्ति के बावजूद ज्यादातर लोग इस पर नियंत्रण करने की कोशिश ही नहीं करते हैं यही वजय हैं कि वे डरों और मुश्किलों से भयभीत होकर जीवन जीते हैं, उचित दृष्टिकोण, उपयुक्त मन:स्थिति और सकारात्मक सोच केसाथ सही दिशा में कार्य करने वाले व्यक्ति अपने जीवन में सफलता के नयें आयाम स्थापित करते हैं।—————
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manav mastiks ki 20 mahan saktiya in hindi
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शरीर के बारे में रोचक और ज्ञानवर्धक 25 बातें
1.मनुष्य के एक बाल की आयु 3 से 7 साल तक की होती है।
2.मनुष्य के बाल न तो सर्दी द्वारा, न जलवायु द्वारा, न पानी द्वारा और न ही अन्य कुदरती बलों द्वारा नष्ट होते है और यह कई प्रकार के तेजाबों के प्रतीरोधकभी है।
3.आप के महिदे(stomatch) में जो तेजाब होता है वह बलेड़ को भी पचा सकता है। यह तेजाब Hydrochloric तेजाब होता है।
4.अपने जीवन काल के दौरान आप दो स्वीमिंग पुल जितनी लार बना लेते है। लार भोजन को पचाने और उसे सवादिस्ट बनाने के लिए महत्वपुर्ण भूमिका निभाती है।
5.एक औसतन मनुष्य दिन में लगभग 14 बार उदरवायु(पाद) अपने शरीर से बाहर निकालता है।
6.कान की मैल बनना सेहत के लिए अच्छा है। कुछ लोगों को यह बिलकुल पसंद नही होती पर यह हमारे रक्षा तंत्र के लिए बहुत जरुरी होती है। यह कानों को कई प्रकार के बैकटीरीया, उल्ली और कीड़ो से बचाती है।
7.बच्चे अकसर नीली आखों के साथ जन्म लेते हैं। जन्म के थोड़ी बाद तक बच्चों को कुछ समय तक सब धुधला देखाई देता है मगर बाद में आखों का रंग सही हो जाता है।
8.बहुत ज्यादा खा लेने के बाद आपकी सुनने की समता थोड़ी कम हो जाती है।
9.आप की नाक लगभग 50,000 किस्म के गंध सूंघ सकती है और आँखे 1 करोड़ रंगो को पहचान सकती हैं।
10.साठ साल की उम्र के बाद 60% बुजुर्ग और 40% बुजुर्ग महिलाएँ सोते समय खराटे मारने लगते हैं।
11.सोमवार एक ऐसा दिन होता है जब heart attack (दिल के दौरे) होनेके ज्यादा chance होते है। Scotland में हुए एक अध्ययन के अनुसार 20% लोग अन्य किसी दिन के बजाए सोमवार को दिल के दौरे से मरे।
12.लगभग 90% बिमारीयां तनाव(stress) की वजह से होती हैं।
13.हम शाम के मुकाबले सवेर को 1 cm लंम्बे होते हैं।
14.मानव एकलौते ऐसे प्राणी हैं जो भावुक होकर रोते हैं।
15.आपके चेहरे के बाल अन्य किसी भाग के बालों से ज्यादा तेजी से बढ़ते हैं।अगर एक औसतन आदमी अपनी पूरी उम्र सेव न करे तो उसकी जिन्दगी दौरान वह 30 फीट तक बढ़ जाएगी जो कि एक killer whale से ज्यादा होगी।
16.एक औसतन मनुष्य के 1,00,000 बाल होते हैं। जिन के बाल काले होते है उनके औसतन 1,10,000 , जिनके भुरे होते है उनके 1,00,000 और जिनके लाल होते है उनके औसतन 86,000 बाल होते है।
17.अगर एक औसतन मनुष्य की खुन की वाहिकायों को जोड़ दिया जाए तो 96,000 किलोमीटर लंबी लड़ी बन सकती है जिससे धरती का ढाई बार चक्कर लगाया जा सकता है।
18.काले रंग के लोगो को गोरे रंग के लोगो से कम दिल का दौरा पड़ता है।
19.आप के फेफड़े की सतह को अगर फैला दिया जाए तो उसका क्षेत्रफल एक Tennis court के जितना होता है।
20.मानव शरीर में सबसे बड़ा cell औरत का अंड़ा जबकि सबसे छोटा cell पुरूषों का शुक्राणु होता है।
21.आपके शरीर में 1 सैकेंड में 1 करोड़ लाल रकताणु बनते और मरते हैं।
22.जब तक बच्चा 2 साल का होता हैं तब तक बच्चे के मां-बाप उसकी वजह से 1055 घंटे कम सोते हैं।
23.अगर आप किसी सपने से जाग गए हैं और वापस उस सपने को देखना कहते हैं तो आपको जल्दी से आंखे बंद करके सीधे लेट जाना चाहिए। ये तरीका हर बार काम नहीं करता पर आप एक अच्छा सपना जरूर देख पाएंगे।
24.सुबह 3:00 से 4:00 बजे के बीच आपका शरीर सबसे कमज़ोर होता हैं। यही कारण है कि ज़्यादातर लोगों की नींद में मृत्यु इसी समय होती हैं।
25.अमेरिका के 8% लोग नंगे सोते हैं।
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सारे निर्णय चेतन मन ही करता है। अवचेतन मन सारी तैयारी, प्रबन्ध या व्यवस्था करता है। चेतन मस्तिष्क यह तय करता है कि क्या करना है, और अवचेतन मस्तिष्क यह तय करता है कि उसे ‘कैसे’ मूर्तरूप दिया जाय ।
हमारे सारे अनुभव, जानकारी हमारे अवचेतन में संचित रहते हैं। परन्तु जब-कभी हम उनका उपयोग करना चाहते हैं, वे चेतन का हिस्सा बन जाते हैं। सिग्मण्ड फ्रायड के अनुसार हमारी दमित इच्छाएँ एवं विचार अवचेतन में संचित रहते हैं। ये हमारे व्यक्तित्व को बनाते व प्रभावित करते हैं और हमारे व्यवहार एवं आचार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
शेक्सपीयर ने कहा, “ हमारा तन बगीचा है और हम इसके बागवान हैं।” तो आप एक बागवान हैं जो विचारों के बीजों कों अवचेतन मस्तिष्क में बोते हैं, जो हमारे आदतन विचारों के अनुरूप होते हैं। हम जैसा अपने अवचेतन में बोएँगे वैसा ही फल हमें प्राप्त होगा। तदनुसार ही हमारा शरीर एवं बोध प्रकट होता है। इसलिए प्रत्येक विचार एक कारण है एवं प्रत्येक दशा एक प्रभाव है । इसी कारण, यह आवश्यक है कि हम अपने विचारों को ऐसा बनाएँ ताकि हम इच्छित स्थिति को प्राप्त कर सकें।




