pappu ji ballia

bhagwat gita bhgwan Sri krishn ka wchan hindi me

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अर्जुन अवसर मिलते ही भगवान श्रीकृष्ण के समक्ष अपनी जिज्ञासा का समाधान पाने पहुंच जाते थे। एक दिन उन्होंने पूछा, हे कृष्ण, यह मन बड़ा चंचल है। मनुष्य को भटकाता रहता है। जिस प्रकार वायु को वश में नहीं किया जा सकता, उसी प्रकार मन को वश में करना मुझे कठिन लगता है। इसे वश में करने का उपाय बताएं। श्रीकृष्ण ने कहा, अर्जुन, निस्संदेह मन ठहर नहीं सकता, परंतु अभ्यास और वैराग्य से उसे वश में किया जा सकता है। सतत अभ्यास करनेवाला, लोभ, मोह और ममता से विरत हो जाने वाला व्यक्ति मन को वश में कर सकता है आध्यात्मिक विभूति आनंदमयी मां कहा करती थीं, मन को वश में करने का उपाय यह है कि हम शरीर और संसार की जगह आत्मा को जानने का प्रयास करें। मन को पवित्र एवं उत्कृष्ट विचारों के चिंतन में लगाए रखें। इसके लिए नेत्रों, कानों और जिह्वा का संयम आवश्यक है। न बुरा देखें, न बुरा सुनें और न बुरा उच्चारित करें। यदि दूषित दृश्य देखोगे और अश्लील वार्ता सुनोगे, तो मन स्वतः द...

yog sakti ka pura sach kundalini sakti

आजकल बहुत सारी किताबें और योग-स्टूडियो या योग केंद्र कुंडलिनी योग और उसके लाभों के बारे में बात करते हैं।

यह बात और है कि वे इसके बारे में जानते कुछ भी नहीं।

यहां तक कि जब हम कुंडलिनी शब्द का उच्चारण भी करते हैं तो पहले अपने मन में एक तरह की श्रद्धा लाते हैं और तब उस शब्द का उच्चारण करते हैं, क्योंकि यह शब्द है ही इतना विशाल, इतना विस्तृत। अगर आप कुंडलिनी को जाग्रत करना चाहते हैं तो आपको अपने शरीर, मन और भावना के स्तर पर जरूरी तैयारी करनी होगी, क्योंकि अगर आप बहुत ज्यादा वोल्ट की सप्लाई एक ऐसे सिस्टम में कर दें जो उसके लिए तैयार नहीं है तो सब कुछ जल जाएगा। मेरे पास तमाम ऐसे लोग आए हैं जो अपनी शारीरिक क्षमताएं और दिमागी संतुलन खो बैठे हैं। इन लोगों ने बिना जरूरी तैयारी और मार्गदर्शन के ही
कुंडलिनी योग करने की कोशिश की। अगर कुंडलिनी योग के लिए उपयुक्त माहौल नहीं है, तो कुंडलिनी जाग्रत करने की कोशिश बेहद खतरनाक और गैरजिम्मेदाराना हो सकती है।
अगर आप इस ऊर्जा को हासिल करना चाहते हैं, जो कि एक जबर्दस्त शक्ति है, तो आपको स्थिर होना होगा। यह नाभिकीय ऊर्जा (न्यूक्लियर एनर्जी) के इस्तेमाल की तकनीक सीखने जैसा है। जापान की स्थिति को देखते हुए आजकल हर कोई परमाणु विज्ञान पर बहुत ध्यान दे रहा है, और उस के बारे में बहुत ज्यादा सीख रहा है। अगर आप रूसी अनुभव को भूल चुके हैं, तो जापानी आपको याद दिला रहे हैं। अगर आप इस ऊर्जा को हासिल करना चाहते हैं तो यह काम आपको बड़ी ही सावधानी से करना होगा। अगर आप सुनामी और भूकंप जैसी संभावनाओं से घिरे हैं, फिर भी आप न्यूक्लियर एनर्जी से खेल रहे हैं तो आप एक तरह से अपने लिए मुसीबत को ही निमंत्रण दे रहे हैं। कुंडलिनी के साथ भी ऐसा ही है।
आज ज्यादातर लोग जिस तरह की जिंदगी जी रहे हैं, उसमें बहुत सारी चीजें, जैसे- भोजन, रिश्ते और तरह-तरह की गतिविधियां पूरी तरह से उनके नियंत्रण में नहीं हैं। उन्होंने कहीं किसी किताब में पढ़ लिया और कुंडलिनी जाग्रत करने की कोशिश करने लगे। इस तरह कुंडलिनी जाग्रत करना ठीक ऐसा है जैसे आप इंटरनेट पर पढक़र अपने घर में न्यूक्लियर रिएक्टर बना रहे हों। न्यूक्लियर बम कैसे बनाया जाता है, वर्ष 2006 तक इसकी पूरी जानकारी इंटरनेट पर मौजूद थी। हमें नहीं पता कितने लोगों ने उसे डाउनलोड किया। बस सौभाग्य की बात यह रही कि इस बम को बनाने के लिए जिस पदार्थ की जरूरत होती है, वह लोगों की पहुंच से बाहर था। कुंडलिनी के साथ भी ऐसा ही है। बहुत सारे लोगों ने पढ़ लिया है कि कैसे कुंडलिनी जाग्रत करके आप चमत्कारिक काम कर सकते हैं। हो सकता है कि बुद्धि के स्तर पर उन्हें पता हो कि क्या करना है, लेकिन अनुभव के स्तर पर उन्हें कुछ नहीं पता। यह अच्छी बात है, क्योंकि अगर वे इस ऊर्जा को हासिल कर लेते हैं, तो वे इसे संभाल नहीं पाएंगे। यह उनके पूरे सिस्टम को पल भर में नष्ट कर देगी। न केवल उनका, बल्कि आसपास के लोगों का भी इससे जबर्दस्त नुकसान होगा।
इसका मतलब यह नहीं है कि कुंडलिनी योग के साथ कुछ गड़बड़ है। यह एक शानदार प्रक्रिया है लेकिन इसे सही ढंग से किया जाना चाहिए, क्योंकि ऊर्जा में अपना कोई विवेक नहीं होता। आप इससे अपना जीवन बना भी सकते हैं और मिटा भी सकते हैं। बिजली हमारे जीवन के लिए फायदेमंद हैं, लेकिन अगर आप उसे छूने की कोशिश करेंगे, तो आपको पता है कि क्या होगा। इसीलिए मैं आपको बता रहा हूं कि ऊर्जा में अपनी कोई सूझबूझ नहीं होती। आप जैसे इसका इस्तेमाल करेंगे, यह वैसी ही है। कुंडलिनी भी ऐसे ही है। आप इसका उपयोग अभी भी कर रहे हैं, लेकिन बहुत ही कम। अगर आप इसे बढ़ा दें तो आप अस्तित्व की सीमाओं से भी परे जा सकते हैं। सभी योग एक तरह से उसी ओर ले जाते हैं, लेकिन कुंडलिनी योग खासतौर से उधर ही ले जाता है। दरअसल पूरा जीवन ही उसी दिशा में जा रहा है। लोग जीवन को जिस तरह से अनुभव कर रहे हैं, उससे कहीं ज्यादा तीव्रता और गहराई से अनुभव करना चाहते हैं। कोई गाना चाहता है, कोई नाचना चाहता है, कोई शराब पीना चाहता है, कोई प्रार्थना करना चाहता है। वे लोग ये सब क्यों कर रहे हैं? वे जीवन को ज्यादा तीव्रता के साथ महसूस करना चाहते हैं। हर कोई असल में अपनी कुंडलिनी को जाग्रत करना चाहता है, लेकिन सभी इस काम को उटपटांग तरीके से कर रहे हैं। जब आप इसे सही ढंग से, सही मागदर्शन में, वैज्ञानिक तरीके से करते हैं तो हम इसे योग कहते हैं।

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