अर्जुन अवसर मिलते ही भगवान श्रीकृष्ण के समक्ष अपनी जिज्ञासा का समाधान पाने पहुंच जाते थे। एक दिन उन्होंने पूछा, हे कृष्ण, यह मन बड़ा चंचल है। मनुष्य को भटकाता रहता है। जिस प्रकार वायु को वश में नहीं किया जा सकता, उसी प्रकार मन को वश में करना मुझे कठिन लगता है। इसे वश में करने का उपाय बताएं। श्रीकृष्ण ने कहा, अर्जुन, निस्संदेह मन ठहर नहीं सकता, परंतु अभ्यास और वैराग्य से उसे वश में किया जा सकता है। सतत अभ्यास करनेवाला, लोभ, मोह और ममता से विरत हो जाने वाला व्यक्ति मन को वश में कर सकता है आध्यात्मिक विभूति आनंदमयी मां कहा करती थीं, मन को वश में करने का उपाय यह है कि हम शरीर और संसार की जगह आत्मा को जानने का प्रयास करें। मन को पवित्र एवं उत्कृष्ट विचारों के चिंतन में लगाए रखें। इसके लिए नेत्रों, कानों और जिह्वा का संयम आवश्यक है। न बुरा देखें, न बुरा सुनें और न बुरा उच्चारित करें। यदि दूषित दृश्य देखोगे और अश्लील वार्ता सुनोगे, तो मन स्वतः दूषित हो उठेगा आर्य संन्यासी महात्मा आनंद स्वामी सरस्वती तो यह भी कहा करते थे कि मन उसी का पवित्र रह सकता है, जो पवित्र वातावरण में रहता है। इतना ही नहीं, जो व्यक्ति ईमानदारी और परिश्रम से अर्जित धन से प्राप्त सात्विक भोजन ग्रहण करता है, वही मन को वश में रखने में समर्थ हो सकता है

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